ऐसा माना जाता है की यह रावण पर भगवान राम की जीत और चौदह साल वनवास के बाद घर लौटने की याद दिलाता है। वास्तव में यह घटना बुराई की शक्तियों पर अच्छाई की विजय की शक्तियों का प्रतिनिधित्व है ।
दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की भी पूजा करते है । विघ्नों के नाश करने वाले भगवान अपने ज्ञान और तेज़ के लिए पूजनीय है दिवाली के मौके पर धन समृद्धी के लिए भी देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। व्यापारी इस नववर्ष को नई खाता बही खोलकर मनाते है ।
बावजूद की यह एक हिन्दू त्यौहार है ,सभी धर्मो लोग पटाखों और आतिशबाजी के साथ रंगारंग कार्यक्रम का आनंद लिए एक साथ आते है। लोग मिटटी के तेल के दीपक जलाते है और अपने घरों को सभी रंगो और आकारों की रोशनी से सजाते है। जो उनके सामने दरवाजों और बाड़ों पर चमकते है ,एक मनोरम दृश्य बनातें है ।फुलझड़ियाँ रॉकेट फूलदान फव्वारें आतिशबाजी बच्चों के बिच लोकप्रिय है । बच्चे और किशोर अपने सबसे आकर्षक और सबसे सुन्दर पोशाक में तैय्यार होते है ।
हम सभी उत्सव के बिच यह भूल जाते है की पटाखे फोड़ने से ध्वनि और प्रदुषण होता है। यह बच्चों के लिए बेहद हानिकारक है और इसके परिणामस्वरूप भयावह जलन हो सकती है। पटाखें फोड़ने कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक और दृशता कम हो जाती है ।जो घटना होनेवाली कई दुर्घटनाओं में योगदान देता है ।नतीजा ,एक सुरक्षित और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार दिवाली होना महत्वपूर्ण है ।
दिवाली 'रोशनी का त्यौहार' के रूप में जाना जाता है और वास्तव में इस दिन पूरा ग्रह चमकता है ।
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